मंगलवार, 17 नवंबर 2020

समाज के ताने-बाने का चित्र बनाती लघुकथाएँ

साहित्य की विभिन्न समर्थ विधाओं में एक विधा लघुकथा की भी है. लघुकथा को ज्यादातर लोग कहानी का छोटा रूप समझ लेते हैं जबकि वास्तविकता में ऐसा नहीं है. लघुकथा अपने आपमें एक सम्पूर्ण विधा है, एक स्वतंत्र विधा है. अपने छोटे स्वरूप में एक सन्देश देने का काम इसके द्वारा होता है. ऐसा ही कुछ उमेश मोहन धवन जी अपने पहले लघुकथा संग्रह में करते हैं. यद्यपि यह लेखक का पहला लघुकथा संग्रह है तथापि लघुकथा लेखन का उनका अनुभव बहुत पुराना है. मूल रूप में उनकी प्रकाशित लघुकथाओं का संग्रह अब पाठकों के लिए सामने आया है.


मेरी लघुकथायें शीर्षक से उनकी 65 लघुकथाएं सामाजिकता के ताने-बाने में लिपटी हैं. उनकी लघुकथाओं को पढ़ते समय एहसास होता है कि वे सभी घटनाएँ हमारे आसपास की हैं, हमारे बीच की हैं. यह किसी भी रचनाकार का सशक्त लेखकीय पक्ष होता है कि वह अपनी रचनाओं के साथ पाठकों का तादाम्य स्थापित कर दे. प्रथम पुरस्कार, मुबारकबाद, दूरी के द्वारा वे समाज की मानसिकता से परिचय करवाते हैं कि किस तरह व्यक्ति स्वार्थ में लिप्त है. उसका दोहरा चरित्र इनके द्वारा सामने आता है. अफ़सोस, पाँच मिनट, पाँच सौ रुपये लघुकथाओं के द्वारा लेखक ने सरकारी मशीनरी की कार्यप्रणाली को दर्शाया है. दो-चार लघुकथाएँ नहीं बल्कि सभी लघुकथाएँ समाज के किसी न किसी पक्ष को, व्यक्ति की किसी न किसी मानसिकता को दर्शाती हैं.


उमेश जी की लघुकथाओं में सामाजिकता है, विषमता है, करुणा है, संक्षेप में कहा जाये तो समाज में विद्यमान सभी पहलुओं को समाहित किये हैं. भाषाई दृष्टि से वे अपनी लघुकथाओं को बोझिल नहीं बनाते हैं. सहज और सरल भाषा में सभी लघुकथाएँ आमजन की भाषा, बोली में पाठकों को आकर्षित करती हैं. भाषा, शब्दों का सामान्य और सरल प्रवाह पाठकों को लघुकथाओं से सहजता से जोड़ देता है. इस कारण से वह लघुकथाओं को बिना पढ़े रह नहीं पाता है.


लघुकथाओं की मुख्य विशेषता उसका अंत माना जाता है. लघुकथा का अंत एक रहस्य के साथ होता है. आरम्भ से चली आ रही कथा का अचानक से परिवर्तन लघुकथा की सफलता मानी जाती है. रोचक कलेवर प्रस्तुत करने के बीच कुछ लघुकथाएँ अपनी विधा की मूल विशेषता ‘रहस्य को बनाये रखना’ का अतिक्रमण करती हैं. ऐसा इसलिए भी समझ आता है क्योंकि उमेश जी लघुकथा के प्रवाह अनावश्यक रूप से हस्तक्षेप करने से बचते समझ आते हैं. बावजूद इसके उनका पहला लघुकथा संग्रह संग्रहणीय है साथ ही अगले लघुकथा संग्रह की माँग को उत्पन्न करता है.

 

समीक्षक : डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर

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कृति : मेरी लघुकथायें (लघुकथा संग्रह)

लेखक : उमेश मोहन धवन

संस्करण : प्रथम, 2020

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